लगभग छह महीने तक डिप्रेशन में रहीं थी Droupadi Murmu, ये दो पुस्तकें रखती हैं हमेशा साथ, जानें उनसे जुड़ी ये बातें

इंंटरनेट डेस्क। द्रौपदी मुर्मू आज देश की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति बन गईं हैं। भारत के प्रधान न्यायाधीश एनवी रमण ने उन्हें संसद के केंद्रीय कक्ष में देश के 15वें राष्ट्रपति के रूप में पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। आज हम आपको देश की दूसरी महिला राष्ट्रपति बनी द्रौपदी मुर्म के जीवन के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं जिनके बारे में शायद ही आपको पता हो।
आपको जानकर हैरानी होगी कि द्रौपदी मुर्मू पारिवारिक और राजनैतिक संघर्षों को पार करते हुए देश की राष्ट्रपति बनने में सफल रही हैं। उनका जन्म 20 जून 1958 को ओडिशा में मयूरभंज जिले के एक आदिवासी परिवार में हुआ था। उन्होंने अपना राजनीति करियर पार्षद के रूप में शुरू किया। इसके बाद वह विधायक और राज्य सरकार में मंत्री बनने में सफल रही। बाद में उन्हें झारखंड की गवर्नर बनने का भी मौका मिला। देश की नई राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के पास हमेशा ट्रांसलेट और भगवान शिव की पुस्तिकें साथ रहती हैं।
द्रौपदी मुर्मू का निजी जीवन दुखों से भरा रहा है। तीन बच्चों और पति की मौत के कारण वह पूरी तरह टूट गईं। खबरों के अनुसार, बड़े बेटे के रहस्यमयी तरीके से हुए निधन के कारण तो वह लगभग छह महीने तक डिप्रेशन में रहीं। इसके बाद उन्होंने ध्यान के माध्यम से खुद को डिप्रेशन से बाहर निकाला।