मुख्यमंत्री अशोक गहलोत माफी मांगकर अपने कृत्यों से बच नहीं सकते: Rajendra Rathore

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जयपुर। नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा न्यायपालिका को लेकर दोबारा दिए गए बयान को लेकर निशाना साधा है। राजेन्द्र राठौड़ ने इस संबंध में गुरुवार को ट्वीट किया कि गजब की बात है।

मुख्यमंत्री जैसे संवैधानिक पद पर आसीन अशोक गहलोत द्वारा कल न्यायपालिका की गरिमा को ठेस पहुंचाते हुए भयंकर भ्रष्टाचार को लेकर टिप्पणी करना और फिर आज इसे निजी राय नहीं बताते हुए अपने बयान से पल्ला झाडऩा, मुख्यमंत्री का इससे बड़ा गैर जिम्मेदाराना काम और क्या हो सकता है। अनेक विधिवेताओं और पूर्व न्यायाधीशों ने जब मुख्यमंत्री के विरुद्ध कंटेम्प्ट ऑफ कोर्ट की बात कही और आज माननीय राजस्थान उच्च न्यायालय में उनके खिलाफ पीआईएल दर्ज होने के उपरांत नोटिस जारी हो गए तो इससे बचने के लिए उल्टे बांस बरेली की तर्ज पर मुख्यमंत्री जी ने अपनी कही बात से ही पलटी मार ली। 

संविधान के तीसरे स्तंभ के रूप में न्यायपालिका को कई व्यापक अधिकार संविधान में मिले हैं। संविधान के आर्टिकल 121  व 211 के अनुसार राज्य की विधायिका सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट और अधीनस्थ न्यायालयों के किसी भी न्यायाधीश के आचरण और कर्तव्य के बारे में कोई टीका टिप्पणी नहीं कर सकती है। 

राजस्थान के इतिहास में पहली बार है जब किसी मुख्यमंत्री ने न्यायपालिका पर सवालिया निशान लगाते हुए अधिवक्ताओं और न्यायालय की गरिमा को ठेस पहुंचाई है। न्यायपालिका के सम्मान और गरिमा पर सीधा आघात पहुंचाना मुख्यमंत्री को शोभा नहीं देता। मुख्यमंत्री जी माफी मांगकर अपने कृत्यों से बच नहीं सकते।