Sunderkand Path: आप भी करेंगे सुंदरकांड की इस चौपाई का पाठ तो मिलेगी हर मुश्किल से मुक्ति

इंटरनेट डेस्क। हिन्दू धर्म के मुताबिक सप्ताह का हर दिन अलग-अलग देवी देवताओं को समर्पित होता है। ऐसे में मंगलवार और शनिवार का दिन हनुमान जी को समर्पित है। मंगलवार के दिन विधि विधान से हनुमान जी महराज की पूजा अराधना कर हनुमान चालीसा और सुंदरकांड का पाठ करने से जीवन में सुख शांति मिलने के साथ परेशानियों से छुटकारा मिलता है।

सुंदरकांड चौपाई किसी चमत्कार से कम नहीं
सुंदरकांड की अनेक ऐसी चौपाई और दोहे हैं, जो काफी चमत्कारी माने जाते हैं, आइए जानते है ऐसी ही एक चौपाई के बारे में।
 

जोजन भरि तेहिं बदनु पसारा, कपि तनु कीन्ह दुगुन बिस्तारा, सोरह जोजन मुख तेहिं ठयऊ, तुरत पवनसुत बत्तिस भयऊ
 

मगर मान्यताओं के हिसाब से अगर कोई व्यक्ति सुंदरकांड का पाठ कर रहा है और उसे दोहे या चौपाई का अर्थ नहीं पता तो उसको पुण्य की प्राप्ति नहीं होगी।

जाने दोहे का अर्थ 
जोजन भरि तेहिं बदनु पसारा, कपि तनु कीन्ह दुगुन बिस्तारा- इस दोहे का अर्थ यह है कि जब हनुमान जी महाराज लंका की ओर जा रहे थे, तब समुद्र के पास सुरसा नाम की एक राक्षस से उनकी मुलाकात होती है, जो अपना मुंह फैला लेती है, तब हनुमान जी ने अपना रूप बड़ा कर लिया था। रामायण के सुंदरकांड में हनुमान जी और सुरसा संवाद का उल्लेख मिलता है. मान्यता है कि जब सुरसा ने अपना मुख सोलह योजन तक फैला लिया, तो पवनपुत्र हनुमान ने तुरंत ही अपने स्वरूप को बत्तीस योजन तक बढ़ा लिया।

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