Maha Kumbh 2025: हिमालय की पहाड़ियों में रहने वाले नागा साधुओं को कैसे लग जाती हैं महाकुंभ की जानकारी, जानकर रह जाएंगे हैरान

इंटरनेट डेस्क। उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ की शुरूआत 13 जनवरी से होने जा रही है। ऐसे में यहा लाखों की संख्या में साधु संत पहुंचेंगे। इनमें नागा साधुओं की भी भरमार होगी। वैसे आपको बता दें कि नागा साधु 12 साल तक ब्रह्मचर्य का पालन करने के बाद पूर्ण रूप से दीक्षित होते हैं। अपने दीक्षा काल के दौरान नागा साधु हिमालय के दुर्गम पहाड़ों में तप करते हैं। लेकिन जब भी महाकुंभ का स्नान होता है, तो रहस्यमयी तरीके से ये उस स्थान पर पहुंच जाते हैं। लेकिन इनकों इसके बारे में पता कैसे लगता है। 

महाकुंभ का कैसे लगता हैं पता
मीडिया रिपाटर्स की माने तो नागाओं के सभी 13 अखाड़ों के कोतवाल महाकुंभ से काफी पहले महाकुंभ की तिथि और स्थान की जानकारी देना शुरू कर देते हैं। कोतवाल के द्वारा स्थानीय साधुओं को सूचना दी जाती है, इसके बाद श्रृंखला बनती रहती है और धीरे-धीरे दूरदराज में साधना कर रहे नागा साधुओं तक भी सूचना पहुंच जाती है। इसके बाद नागा साधु उस स्थान की ओर कूच करना शुरू कर देते हैं, जहां महाकुंभ लगने वाला है। वहीं कुछ लोग यह भी मानते हैं कि, योग से सिद्धियां पाए नागा साधुओं को ग्रह-नक्षत्रों की चाल से ही महाकुंभ की तिथि और स्थान का पता लग जाता है। 

निर्वस्त्र क्यों रहते हैं 
नागा साधुओं को आपने देखा होगा। ये हमेशा निर्वस्त्र रहते हैं। इसके पीछे नागा साधु जो तर्क देते हैं वो यह है कि, इंसान दुनिया में निर्वस्त्र ही आया है। प्राकृतिक रूप से व्यक्ति को संसार में रहना चाहिए, इसीलिए नागा साधु वस्त्र नहीं पहनते। दूसरी धारणा यह है कि वस्त्र धारण करने से उनकी साधना में भी विघ्न पड़ता है।

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