Rajasthan: करोड़ों की संपत्ति दान कर चुके राजस्थान के ये संत, अब बने महाकुंभ में महामंडलेश्वर

इंटरनेट डेस्क। महाकुंभ इस बार कॉफी चर्चाओं में हैं। यहां ऐसे ऐसे साधु हैं जिनके दर्शन मात्र से लोगों को कल्याण हो रहा है। ऐसे में कुछ साधु ऐसे हैं जो परिवार को त्याग चुके हैं तो कुछ ऐसे हैं जो करोड़ों की संपत्ति को त्याग कर साधु बने है। ऐसे में एक महात्मा हैं राजस्थान के, इनका नाम हैं स्वामी हितेश्वरानंद सरस्वती ये प्रयागराज महाकुंभ में महामंडलेश्वर बने है। उन्होंने कोरोना काल में अपनी करोड़ों की संपत्ति आदिवासियों के कल्याण के लिए दान कर दी थी।

मिली ये उपाधि
मीडिया रिपाटर्स की माने तो श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी अखाड़ा ने उन्हें महामंडलेश्वर की उपाधि दी। स्वामी हितेश्वरानंद सरस्वती उदयपुर सलूंबर और सरेपुर से जुड़े हैं। स्वामी हितेश्वरानंद को महामडंलेश्वर बनाए जाने पर पूरे मेवाड़ में हर्षाेल्लास और खुशी का माहौल है। स्वामी हितेश्वरानंद सरस्वती का जन्म पाली के सुमेरपुर के पास चाणोद में श्रीमाली ब्राह्मण कुल में हुआ था। उन्होंने ब्रह्मचारी जीवन से ही सन्यास जीवन में प्रवेश किया।

महामंडलेश्वर बनने की योग्यता 
महामंडलेश्वर बनने के लिए शास्त्री आचार्य होनी जरूरी होता है। उसके पास वेदांग की पढ़ाई की हो, अगर ऐसा नहीं है तो उसे कथावाचक होना चाहिए, उसके वहां मठ होना जरूरी है, मठ में जनकल्याण के लिए सुवधिाओं का अवलोकन किया जाता है। सनातन धर्मावलंबियों के लिए स्कूल, मंदिर और गोशाला है कि नहीं ये देखा जाता है। ऐसे लोगों को महामंडलेश्वर बनाया जाता है।

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