'ओलंपिक नहीं जाना चाहिए था और मेडल नहीं जीतने चाहिए थे': मनु भाकर के पिता खेल रत्न से बाहर होने पर नाराज

मनु भाकर के पिता राम किशन भाकर ने सरकार पर नाराजगी जताते हुए आरोप लगाया कि भारत में क्रिकेट को छोड़कर अन्य खेलों के खिलाड़ियों को नजरअंदाज किया जाता है। डबल ओलंपिक पदक विजेता मनु भाकर का इस साल के ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार के लिए नामांकन सूची में नहीं होना विवाद का विषय बन गया है।

घटना का विवरण:

  • अगस्त में, मनु भाकर ने 10 मीटर एयर पिस्टल व्यक्तिगत और 10 मीटर एयर पिस्टल मिश्रित टीम इवेंट में कांस्य पदक जीतकर ओलंपिक के एक संस्करण में दो पदक जीतने वाली स्वतंत्र भारत की पहली एथलीट बनीं।
  • उनकी उपेक्षा पर परिवार ने निराशा व्यक्त की और दावा किया कि आवेदन समय पर जमा किया गया था।

पिता की प्रतिक्रिया:

  • राम किशन ने कहा, "मुझे खेद है कि मैंने उसे शूटिंग में डाला। मुझे उसे क्रिकेटर बनाना चाहिए था। तब उसे सभी पुरस्कार और सम्मान मिलते। उसने एक ही संस्करण में दो ओलंपिक पदक जीते। और क्या उम्मीद करते हैं आप मेरे बच्चे से?"
  • मनु ने अपने पिता से कहा, "मुझे ओलंपिक में नहीं जाना चाहिए था और देश के लिए पदक नहीं जीतने चाहिए थे। मुझे तो खिलाड़ी भी नहीं बनना चाहिए था।"

पुरस्कार आवेदन और स्थिति:

  • खेल मंत्रालय का कहना है कि 22 वर्षीय शूटर ने खेल रत्न के लिए आवेदन नहीं किया, लेकिन परिवार इस दावे को खारिज करता है।
  • पिता का कहना है कि मनु ने पिछले चार वर्षों में कई पुरस्कारों के लिए 49 आवेदन जमा किए थे, जिनमें से सभी खारिज कर दिए गए।

संभावित निर्णय:

  • खेल मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, नामांकन सूची अभी अंतिम रूप में नहीं आई है। संभावना है कि मनु का नाम अंतिम सूची में शामिल हो सकता है।

 

 

 

 

 

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