Geeta Updesh: श्रीकृष्ण ने हाजारों सालों पहले ही दे दिया था सक्सेस का मंत्र, अपना लिया तो नहीं रोक पाएगा कोई
- byShiv
- 12 Jun, 2025

इंटरनेट डेस्क। आपने देखा होगा की काम की भागदौड़ और उसके साथ साथ लोगों के पास समय का अभाव सबसे बड़ी समस्यां बनता जा रहा है। भागदौड़ भरी जिंदगी में हर इंसान सफलता की तलाश में भटकता रहता है। कैसे पैसा कमाया जाएं और कितना कमाया जाएं लोगों के लिए अब ये महत्वपूर्ण होता जा रहा है। करियर अथवा बिजनेस की बात हो या रिश्तों में संतुलन बनाने की हर कोई भाग रहा है। लेकिन क्या आपने कभी जानने की कोशिश की है कि हजारों साल पहले ही भगवद गीता में श्रीकृष्ण ने सफलता पाने का अचूक फार्मूला दे दिया था?
जाने कब क्या कहा था
दरअसल महाभारत के युद्धभूमि कुरुक्षेत्र में, जब अर्जुन संशय और भ्रम में डूबे हुए थे, तब श्रीकृष्ण ने जो ज्ञान दिया, वह न सिर्फ आध्यात्मिक जीवन बल्कि व्यावहारिक जीवन में भी सफलता की कुंजी बन चुका है।
कर्म करो, फल की चिंता मत करो
श्रीकृष्ण ने गीता के दूसरे अध्याय के 47वें श्लोक में कहा कि “कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन. मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते संगोऽस्त्वकर्मणि॥”अर्थात्, तुम्हारा अधिकार सिर्फ कर्म करने में है, फल में नहीं. यानी अगर आप किसी भी क्षेत्र में सफल होना चाहते हैं, तो पूरी ऊर्जा और निष्ठा के साथ अपना कर्तव्य निभाइये, फल की चिंता करने से मन भटकता है और परफॉर्मेंस पर असर पड़ता है।
सफलता-असफलता दोनों में संतुलित रहें
गीता में श्रीकृष्ण कहते हैं कि “सिद्ध्यसिद्ध्योः समो भूत्वा समत्वं योग उच्यते॥”यहां स्पष्ट कहा गया है कि जो व्यक्ति सफलता और असफलता दोनों में समान भाव रखता है, वही सच्चा योगी है, यदि मनुष्य हर परिस्थिति में स्थिर रहे, तो उसका निर्णय और परिश्रम दोनों अधिक प्रभावी हो जाते हैं।
pc- hamaramahanagar.net