RTI के बीस साल: कांग्रेस ने लगाया अधिनियम को कमजोर करने का आरोप, एक्टिविस्टों पर हमले जैसे गंभीर आरोप लगाए
- byMuzaffar
- 13 Oct, 2025

- आरटीआई कमजोर: खरगे बोले, सरकार ने पारदर्शिता खत्म कर दी।
- लोकतंत्र खतरे में: आठ पद खाली, अपील प्रक्रिया ठप।
- भ्रष्टाचार छुपाने का आरोप: डेटा प्रोटेक्शन एक्ट बना बहाना।
सूचना का अधिकार यानि राइट टू इंफॉर्मेशन अधिनियम ने बीस वर्ष पूर हो गए हैं। कांग्रेस की मनमोहन सरकार में यह कानून पारित किया गया था। इस कानून के बीस वर्ष पूरे होने पर कांग्रेस के केद्रीय नेतृत्व ने केंद्र की मोदी सरकार पर हमला बोला है। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे से लेकर राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा और नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने केंद्र पर इस कानून को कमजोर करने और आरटीआई एक्टिविस्टों पर हमले और जान के खतरे आम होने का बड़ा आरोप लगाया है। खरगे ने कहा कि सरकार को जवाबदेही से भागना बंद करना चाहिए और आरटीआई जैसे जनहितकारी कानून की मूल भावना को फिर से बहाल करना चाहिए, ताकि नागरिकों को सच्ची जानकारी तक पहुंच मिल सके।
आरटीआई कानून, जनता की ताकत था, अब खो रहा असली पहचान
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने मोदी सरकार पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि आरटीआई कानून, जो कभी जनता की ताकत था, अब धीरे-धीरे अपनी असली पहचान खो रहा है। खरगे ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने 2019 में आरटीआई एक्ट में संशोधन कर सूचना आयुक्तों की स्वतंत्रता पर अंकुश लगा दिया और 2023 का डेटा संरक्षण कानून पारदर्शिता खत्म करने का औजार बन गया।
20 साल पहले डॉ. मनमोहन सिंह के नेतृत्व में लागू हुआ
खरगे ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (X) पर पोस्ट करते हुए कहा कि 20 साल पहले डॉ. मनमोहन सिंह और सोनिया गांधी के नेतृत्व में आरटीआई अधिनियम लागू हुआ था, जिससे पारदर्शिता और जवाबदेही का नया युग शुरू हुआ था। लेकिन बीते 11 वर्षों में, मोदी सरकार ने इसे कमजोर कर दिया।
सूचना आयुक्त का पद लंबे समय से खाली
उन्होंने कहा कि केंद्रीय सूचना आयोग में मुख्य सूचना आयुक्त का पद लंबे समय से खाली है और आठ सीटें 15 महीनों से रिक्त हैं। इससे अपील प्रक्रिया ठप पड़ी है और हजारों लोग न्याय से वंचित हैं।
नो डेटा अवेलेबल’ मानसिकता
खरगे ने आगे कहा कि सरकार ‘नो डेटा अवेलेबल’ मानसिकता के साथ काम कर रही है। कोविड महामारी, राष्ट्रीय सर्वेक्षण, कृषि डेटा और पीएम केयर्स फंड जैसे अहम मामलों में पारदर्शिता नहीं बरती गई।
सच बोलने वालों को डराया
कांग्रेस नेता ने यह भी दावा किया कि 2014 से अब तक 100 से ज्यादा आरटीआई कार्यकर्ताओं की हत्या हो चुकी है। उनके मुताबिक, सच बोलने वालों को डराया जा रहा है और लोकतांत्रिक संस्थाओं की स्वतंत्रता पर हमला हो रहा है।