Offbeat: नग्न रहने वाले नागा साधु क्यों पहनते हैं लोहे-लकड़ी के लंगोट, रहस्य जानकर होगी हैरानी
- byShiv
- 31 Dec, 2024

PC: indianews
कहा जाता है कि स्त्री की सुंदरता उसके खुले बालों में होती है, साधु की सुंदरता उसके तिलक में और नागा की सुंदरता उसकी लंगोटी होती है। आपको इस बारे में जानकारी नहीं होगी कि ये लंगोट लकड़ी या लोहे से बनी होती है। इसका वजन कम से कम पांच किलो होता है। दीक्षा लेने के बाद इसे पहनना बेहद ही जरूरी है। नामकरण भी इसी से किया जाता है।
अखाड़े की होती है अपनी पहचान
सिंहस्थ में साधुओं का जमावड़ा होता है। इसमें अलग अलग अखाड़े आते हैं और इनके अलग अलग नियम-कायदे होते हैं। दिगंबर अखाड़े के रामानंद संप्रदाय से जुड़े साधुओं (महात्यागी) की पहचान उनकी लंगोटी से होती है। श्रीमहंत मदन मोहनदास त्यागी के अनुसार दीक्षा के बाद केले के पत्ते से बनी लंगोटी से यात्रा शुरू होती है। इन्हें केले वाले महात्यागी कहते हैं। इस संप्रदाय में मुंज जनेऊ धारण करने वाले को मुंज वाले महात्यागी बाबा कहते हैं।
इस जनेऊ को बनाने में ही 2 दिन लग जाते हैं। इसकी प्रक्रिया काफी लंबी है। ये लोग सूखी घांस की माला भी पहनते हैं। इस संप्रदाय के साधुओं का श्रृंगार भभूत होता है और आभूषण सूखी घास की माला, मुंज का जनेऊ और केले के पत्ते की लंगोटी होती है।
लोहे या चांदी की लंगोटी
महाकुंभ मेले में नागा साधु आना शुरू हो गए है और ये किसी तरह के कपड़े नहीं पहनते हैं लेकिन कुछ नागा लकड़ी की लंगोटी पहनते हैं, जबकि कुछ नागा लोहे या चांदी की लंगोटी पहनते हैं। ये लंगोटी पहनना भी एक तरह की तपस्या है। धार्मिक अनुष्ठानों के दौरान भी वे लंगोटी पहनते हैं। नागा साधु बनने के अंतिम चरण में उन्हें लिंग भंग की प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। इस प्रक्रिया के बाद वे कभी-कभी लकड़ी या लोहे की लंगोटी पहनते हैं।