Tirupati Balaji: 300 साल पुरानी रेसिपी, 600 लोगों की टीम बनाती है लड्डू, फिर भी कैसे हो गई मिलावट
- byShiv
- 21 Sep, 2024

इंटरनेट डेस्क। तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसाद के लड्डू में जानवरों की चर्बी और मछली के तेल पाए जाने की पुष्टि की रिपोर्ट के बाद हर तरफ अफरा तफरी का माहौल है। मीडिया रिपोटर्स की माने तो राज्य के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने सबूत के तौर साइंटिफिक लैब की रिपोर्ट भी दिखाई है। वैसे बता दें की तिरुपति बालाजी के लड्डू को साक्षात् भगवान का प्रसाद कहा जाता है। इसमें अद्भुत दैवीय स्वाद होता है। ऐसा दावा है कि ऐसे लड्डू कहीं और नहीं बनते हैं।

मिलावट की बात आ रही सामने
मीडिया रिपोटर्स की माने तो बालाजी के इन्हीं दिव्य लड्डूओं में अब मिलावट बताई जा रही है। आरोप है कि बालाजी के लड्डुओं में जानवरों की चर्बी मिला दी गई। ये आरोप सूबे के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने लगाए हैं। मीडिया रिपोटर्स की माने तो दावा किया जा रहा हैं घी में फिश ऑयल बीफ टैलो यानी जानवरों की चर्बी और लार्ड यानी सुअर की चर्बी होने की संभावना सामने आई है।
600 ब्राह्मणों की टीम बनाती है लड्डू
तिरुमला तिरुपति देवस्थानम की रसोई, जिसे स्थानीय भाषा में पोटू कहते हैं। बालाजी के भोग के लड्डू सिर्फ और सिर्फ तिरुमला तिरुपति देवस्थानम की रसोई में बनते हैं। इसके लिए 600 ब्राह्मणों की टीम दिन-रात शिफ्टों में काम करती है। यहां रोजाना साढ़े तीन लाख लड्डू बनते हैं। बताया जाता हैं की इसमें 800 किलो काजू और 600 किलो किशमिश की रोजाना खपत होती है। बालाजी के लड्डू बनाने की एक-एक सामग्री बहुत बारीकी से लाई जाती है। यहां तक कि बेसन घोलने का पानी भी तिरुपति के विशेष तालाब से ही लिया जाता है।

300 साल से नहीं बदली बनाने की विधि
बालाजी के इन लड्डूओं को बनाने की विधि पिछले 300 साल से नहीं बदली गई है। 2009 में तिरुपति के लड्डू को जीआई टैग भी मिला है। मतलब ये कि तिरुपति के लड्डू को एक विशिष्ट पहचान हासिल है। इसे केवल तिरुमला वेंकटेश्वर मंदिर में ही तैयार किया जा सकता है।
pc- scoopwhoop.com, webdunia,amar ujala