'हम भारत के साथ अपने रिश्ते को महत्व देते हैं!' पुतिन के दौरे से पहले रूस ने दिल्ली-मॉस्को मिलिट्री डील को दी हरी झंडी
- byvarsha
- 03 Dec, 2025
PC: anandabazar
रूस के प्रेसिडेंट व्लादिमीर पुतिन गुरुवार को दो दिन के दौरे पर भारत आ रहे हैं। इससे पहले, रूसी पार्लियामेंट के निचले सदन स्टेट ड्यूमा ने मंगलवार को भारत के साथ एक ज़रूरी मिलिट्री एग्रीमेंट को मंज़ूरी दी। फरवरी में दिल्ली और रूस के बीच दोनों देशों के बीच लॉजिस्टिकल सपोर्ट के लेन-देन के लिए एक एग्रीमेंट साइन हुआ था। इस एग्रीमेंट को 'रेसिप्रोकल एक्सचेंज ऑफ़ लॉजिस्टिक्स सपोर्ट' या शॉर्ट में RELOS कहा जाता है।
यह एग्रीमेंट दोनों देशों के बीच मिलिट्री कोऑपरेशन के लिहाज़ से काफी अहम है। पिछले हफ़्ते देश के प्राइम मिनिस्टर मिखाइल मिशुस्तीन ने इस एग्रीमेंट को मंज़ूरी के लिए रूसी पार्लियामेंट के निचले सदन में भेजा था। निचले सदन ने मंगलवार को इसे हरी झंडी दे दी। स्टेट ड्यूमा के स्पीकर व्याचेस्लाव वोलोडिन ने कहा, "भारत के साथ हमारे स्ट्रेटेजिक और बड़े रिश्ते हैं। हम इस रिश्ते को अहमियत देते हैं। मेरा मानना है कि इस एग्रीमेंट को मंज़ूरी मिलने से आपसी सहयोग और हमारे रिश्ते और मज़बूत होंगे।"
दरअसल, पुतिन ऐसे समय में दिल्ली आ रहे हैं जब भारत का US के साथ डिप्लोमैटिक तनाव चल रहा है। इसलिए, पुतिन इस दौरे के दौरान दिल्ली और मॉस्को के बीच दोस्ती को और बढ़ाना चाह रहे हैं। इस मामले में रूसी तेल के साथ-साथ मिलिट्री इक्विपमेंट का मुद्दा भी सबसे अहम हो सकता है। रूस दशकों से भारत को मिलिट्री इक्विपमेंट सप्लाई कर रहा है। ऐसे में पुतिन के दौरे से पहले रूसी संसद के निचले सदन में इस एग्रीमेंट को मंज़ूरी मिलना काफी अहम है।
RELOS एग्रीमेंट में रूस से भारत को रूसी मिलिट्री इक्विपमेंट, वॉरशिप और फाइटर एयरक्राफ्ट की सप्लाई के अलग-अलग प्रोसिजरल पहलुओं का ज़िक्र है। इसी तरह, एग्रीमेंट में भारत से मिलिट्री कोऑपरेशन के प्रोसिजरल पहलुओं का भी ज़िक्र है। यह दोनों देशों के बीच डिफेंस के फील्ड में आपसी सहयोग का एग्रीमेंट है। एग्रीमेंट में दोनों देशों की सेनाओं की जॉइंट एक्सरसाइज और ट्रेनिंग से लेकर अलग-अलग मिलिट्री फील्ड में सहयोग का ज़िक्र है।
पुतिन के भारत दौरे के दौरान दोनों देशों के बीच सिविल न्यूक्लियर एनर्जी के क्षेत्र में बाइलेटरल कोऑपरेशन पर कदम उठाए जा सकते हैं। सिविल न्यूक्लियर एनर्जी के क्षेत्र में बाइलेटरल मदद के रास्ते को और मजबूत करने के लिए एक मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग (MoU) पर साइन किए जा सकते हैं। पुतिन के दौरे से पहले रूसी कैबिनेट ने ऐसे मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग को मंजूरी दे दी है। रूस की तरफ से रूसी न्यूक्लियर एनर्जी एजेंसी रोसाटॉम इस एग्रीमेंट पर साइन करेगी। वे तमिलनाडु में पहले से ही कई न्यूक्लियर रिएक्टर बना रहे हैं।
ट्रंप की धमकियों और कई पश्चिमी देशों के एतराज़ के बावजूद, भारत ने रूस से फ्यूल ऑयल खरीदना जारी रखा है। हालांकि रूस का तेल इंपोर्ट थोड़ा कम हुआ है, लेकिन यह बहुत ज़्यादा नहीं है। भारत के फ्यूल ऑयल का बड़ा हिस्सा अभी भी रूस से आता है। पुतिन इस दौरे के दौरान यह पक्का करना चाहेंगे कि ट्रंप की धमकियों का दिल्ली-मॉस्को ट्रेड रिलेशन पर कोई असर न पड़े।






