Frequent IVF failure: IVF बार बार क्यों हो जाता है फेल? 10-15% कपल्स इन वजहों से होते हैं फेल

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पुणे के खराडी में नोवा IVF फर्टिलिटी डॉक्टर्स की जानकारी के मुताबिक, कुल IVF ट्रीटमेंट में से करीब 10 से 15 परसेंट फेल हो जाते हैं। इसमें कुछ कपल्स को भी फेलियर का सामना करना पड़ता है। कुल मिलाकर, यह रेट ज़्यादातर 35 साल से ज़्यादा उम्र की महिलाओं में देखा जाता है।

अगर ट्रीटमेंट तीन या उससे ज़्यादा बार फेल हो जाता है, तो इसे रिपीटेड IVF फेलियर कहा जाता है। ऐसी फेलियर से मरीज़ इमोशनली थक जाते हैं। लेकिन एक्सपर्ट्स के मुताबिक, हाल की मेडिकल तरक्की की वजह से, बिना थके और हिम्मत से इन वजहों का सामना करना ज़रूरी है।

फर्टिलिटी एक्सपर्ट्स के मुताबिक, इसके पीछे महिला के एग या स्पर्म की क्वालिटी, यूट्रस में पॉलीप्स-फाइब्रॉएड, जेनेटिक डिफेक्ट, लाइफस्टाइल या यूट्रस की लाइनिंग में दिक्कतें मुख्य वजहें हैं। हर केस की अलग से जांच करके सही ट्रीटमेंट प्लान बनाना ज़रूरी है।

खरडी में नोवा IVF फर्टिलिटी में फर्टिलिटी स्पेशलिस्ट डॉ. निशा पंसारे ने कहा कि यूट्रस की बीमारियों से इम्प्लांटेशन में मुश्किलें आ सकती हैं। कभी-कभी एम्ब्रियो स्ट्रक्चर के हिसाब से नॉर्मल दिखता है। लेकिन, अगर यह ऐसा दिखता भी है, तो जेनेटिक डिफेक्ट की वजह से यह सक्सेसफुली इम्प्लांट नहीं होता है। ऐसे मामलों में, प्रीइम्प्लांटेशन जेनेटिक टेस्टिंग (PGT) यानी इम्प्लांटेशन से पहले की जाने वाली जेनेटिक टेस्टिंग ज़रूरी हो जाती है।

IVF फर्टिलिटी में फर्टिलिटी स्पेशलिस्ट डॉ. मधुकरी शिंदे का कहना है कि एंडोमेट्रियल रिसेप्टिविटी ऐरे (ERA) टेस्ट के ज़रिए इम्प्लांटेशन का सही समय पता लगाया जा सकता है। लेज़र असिस्टेड हैचिंग एक लैब टेक्नीक है, जिसमें लेज़र की मदद से एम्ब्रियो की बाहरी लेयर में एक छोटा सा छेद किया जाता है। इससे एम्ब्रियो को यूट्रस में ठीक से इम्प्लांट होने में मदद मिलती है। एम्ब्रियो ग्लू एक खास मीडियम है, जिसका इस्तेमाल एम्ब्रियो इम्प्लांटेशन प्रोसेस में मदद के लिए किया जाता है। ऐसी टेक्नीक इम्प्लांटेशन का सक्सेस रेट बढ़ाती हैं।